कम्प्यूटर नेटवर्क क्या है और कितने प्रकार के होता है ? | What is a network and how many types are there in Hindi

कम्प्यूटर नेटवर्क क्या है 

नेटवर्क एक दूसरे से किसी माध्यम के द्वारा जुड़ी हुई कई युक्तियों ( डिवाईस या नोट ) का समूह होता है । यहाँ एक नोड ( युक्ति ) से मतलब एक कम्प्यूटर , प्रिन्टर या ऐसी युक्तियों ( डिवाइसेस ) से है , जो किसी दूसरे नोड के द्वारा उत्पन्न सूचना ( डेटा ) से आदान – प्रदान करने में सक्षम हों । एक माध्यम जो विभिन्न युक्तियों को आपस में जोड़ता है , कम्यूनिकेशन चैनल कहलाता है । 

नेटवर्क डिस्ट्रीब्यूटेड प्रोसेसिंग का उपयोग करता है , जिसमें एक कार्य कई कम्प्यूटर द्वारा पूरा किया जाता है । अर्थात् एक बड़ी मशीन के स्थान पर कई अलग – अलग कम्प्यूटर कार्य को पूरा करते हैं । दूसरे शब्दों में कम्प्यूटर्स व हार्डवेयर का ऐसा समूह जिनको किसी संचार माध्यम से जोड़ा गया हो व फाइल्स तथा अन्य स्रोतों का उपयोग कई यूजर कर सकें , नेटवर्क कहलाता है । 

 नेटवर्क के कितने भाग होते हैं

 1 ) HUB 

2 ) NIC 

3 ) REPEATER 

4 ) BRIDGE 

5 ) ROUTER 

6 ) GETWAY  

HUB : 

यह एक हार्ड वेयर कम्पोनेंट है । इसका उपयोग कम्प्यूटर को आपस में जोड़ने के लिए किया जाता है । इस कम्पोनेंट को वर्क स्टेशन भी कहते हैं । इस डिवाईस को स्टार टोपोलाजी में यूज किया जाता है । इस डिवाईस में 8 से 9 कम्प्यूटर को कनेक्ट करने की सुविधा रहती है । इसके द्वारा यह भी पता लगाया जा सकता है कि कौन सा कम्प्यूटर नेटवर्क में कार्य नहीं कर रहा है । क्योंकि इसमें सभी मॉड और सर्वर के लिए अलग – अलग लाईट दी जाती है । अगर कोई लाईट नहीं जलती है तो वह नोड कार्य नहीं कर रहा है । 2 ) 

NIC [ Network Interface Card ) : 

नेटवर्क में सबसे महत्वपूर्ण यह कार्ड होता है । इस कार्ड को इथरनेट कार्ड भी कहते हैं । बगैर इस कार्ड के किसी भी कम्प्यूटर को नेटवर्क में नहीं जोड़ सकते हैं । यह कार्ड सी.पी.यू. अंदर लगाया जाता है और फिर इस कार्ड को कम्प्यूटर में इंस्टॉल करते हैं । इसक कार्ड के द्वारा भी । ही नेटवर्क करने की सुविधा मिलती है और कम्प्यूटर को आपस में जोड़ने  

Repeater : 

इस कमाण्ड का उपयोग नेटवर्क में किया जाता है । इसे सिर्फ एक ही नेटवर्क में उपयोग कर सकते हैं । इसके द्वारा नेटवर्क के कमजोर सिगनल को दोबारा इंक्रीज कर आगे भेजा जाता है । यह एक ही नेटवर्क पर चलता है । रिपीटर के दो प्रकार हैं 

a ) Amplifier Bridge 

b ) Retrasmet Signal Device  

Bridge

इस कमाण्ड के द्वारा दो अलग – अलग नेटवर्क को आपस में जोड़ जा सकता है लेकिन यह जरूरी है कि दोनों नेटवर्क एक समान हों और उनमें उपयोग होने वाले साफ्टवेयर भी एक समान  हो

Router  :

 इस कमाण्ड के द्वारा दो अलग – अलग नेटवर्क को आपस में जोड़ते हैं । यह हमेशा उन्हीं नेटवर्क में उपयोग किया जाता है जिनमें नेटवर्किंग के Software एक जैसे होते है मगर उनमें उपयोग होने वाले साफ्टवेयर अलग – अलग होते है । यह एक नेटवर्क के प्रोटोकाल को दूसरे नेटवर्क के फोटो कॉल में कन्वर्ट करता है

Gateway

यह सबसे अच्छा कंपोनेंट है और बहुत महंगा है इस कंपोनेट के द्वारा दो अलग-अलग नेटवर्क को आपस में जोड़ते हैं इसमें दोनों नेटवर्क के टाइम भी अलग दो होते हैं जैसे डास और यूनिक्स का जोड़ना इत्यादि इस नेटवर्क में इनके सॉफ्टवेयर भी आपस में एक समान नहीं होते है

Computer Network कितने प्रकार का होता है

नेटवर्क्स का वर्गीकरण सामान्यतः नेटवर्क को तीन निम्न लाखत पाणयों में विभाजित किया जा सकता है : LAN , MAN और WAN नेटवर्क की श्रेणी का निर्धारण उसके आकार , उसके स्वामित्व , कितना दूरी में फैला है व उसके भौतिक संरचना पर निर्भर करता है

1 ) LAN – Local Area Network , . 

2 ) WAN – Wide Area Network . . 

3 ) MAN – Metropolitan Area Network . 

1 ) LAN ( Local Area Network ) क्या है

LAN किसी एक आफिस , बिल्डिंग व केम्पस के विभिन्न उपकरणों को आपस में जोड़ता  है । लेन किसी घर अथवा आफिस में आसानी से दो कम्प्यूटर्स व प्रिंटर के बीच में बनाया जा सकता है , साथ ही इसे पूरी कंपनी में विभिन्न कम्प्यूटर्स के बीच में भी बनाया जा सकता है , जिसमें वॉइस , साउंड़ व वीडियों उपकरण भी शामिल किये जा सकते हैं । आज के समय में लेन की क्षमता कुछ किलोमीटर तक ही सीमित है । संक्षिप्त में हम कह सकते हैं कि लेन एक डिजिटल संचार सिस्टम है , जिसमें बहुत से कम्प्यूटर्स उसके सहायक उपकरणों के साथ एक निश्चित भौगोलिक सीमा के अन्दर वायर ( केबल ) के द्वारा आपस में जुड़े हों व कई प्रक्रियाओं में एक दूसरे के सहायक हों । 

लेन के द्वारा विभिन्न पर्सनल कम्प्यूटर्स व वर्क स्टेशनों के मध्य एक – दूसरे के रिसोर्सेस् का उपयोग किया जा सकता है । रिसोर्सेस से तात्पर्य हार्डवेअर ( उदा . के लिये प्रिंटर ) , साफ्टवेयर ( उदा . के लिए कोई एप्लीकेशन प्रोग्राम ) और डेटा से है । लेन का एक सरल उदाहरण एक ही कार्य से जुड़े कम्प्यूटर्स का वर्क स्टेशन हो सकता है , जैसे कि इंजीनियरिंग वर्क स्टेशन या अकाउटिंग PCs | यहां पर एक कम्प्यूटर जिसकी डिस्क ड्राइव की क्षमता अधिक होती है , वह सरवर व दूसरे कम्प्यूटर्स क्लाईंट कहलाते हैं । सरवर पर सभी साफ्टवेयर रखे जाते हैं , जिन्हें समूह के सभी कम्प्यूटर्स उपयोग कर सकते हैं । 

लेन को आकार के आधार के अतिरिक्त , विभिन्न प्रकार के नेटवर्क्स में उनके ट्रांसमिशन माध्यम व टोपोलॉजी के आधार पर भी बनाया जा सकता है । सामान्यतः कोई लेन केवल एक ही प्रकार के ट्रांसमिशन माध्यम का उपयोग करती है । अधिकांशतः लेन में बस , रिंग व स्टार टोपोलॉजी का उपयोग किया जाता है । लेन में डेटा को ट्रांसमिट करने की गति 100 Mbps तक पायी जा सकती है । 

चूंकि नेटवर्क में शामिल सभी उपकरण एक व्यवस्था में उपस्थित होते हैं , अतः लेन किसी संस्था में ही स्थापित व नियंत्रित किया जाता है । इसलिये इसे हम प्रायवेट डेटा नेटवर्क भी कह सकते हैं । 

लेन मुख्यतः दो विभिन्न प्रकार के होते है , 

वायर्ड LANS व वायरलेस LANS जो कि एक दूसरे से पूर्णतः अलग होते हैं । वायड LANS में मुख्यतः केबल ( वाइरिंग ) का उपयोग किया जाता है , इनमें टिवस्टेड पेयर केबल या कोएक्स केबल उपयोग होती हैं , जबकि वायरलेस LAN में रेडियो और लाईट तरंगों का उपयोग किया जाता है । LANS के उदा . इस प्रकार हैं : 

ETHERNET – Xerox Corporation . OMININET – Corvus System . 

LAN के गुण 

( 1 ) LAN , NOS ( नेटवर्किंग आपरेटिंग सिस्टम ) का उपयोग करता है । यह सभी अवयवों को आपस में बांधे रखता है तथा के लिये सभी आपरेशन पारदर्शी बनाता है । य 

( 2 ) LAN पूर्णतः किसी आर्गेनाइजेशन के स्वामित्व में होता है । 

( 3 ) LAN लोड शेयरिंग के सिद्धांत पर कार्य करता है । क्योंकि जो भी प्रोग्राम क्रियान्वित होता है , उसे पहले पर्सनल कम्प्यूटर की मेमोरी में डाऊनलोड ( कापी ) किया जाता है । 

( 4 ) LAN एक पर्सनल कम्प्यूटर्स का आपस में संबंधित ( जुड़े हुए ) सिस्टम है । यह कुछ कामन स्रोत जैसे डिस्क्स , प्रिंटर्स जैसे उपकरणों को शेयर ( बांटना ) करता है , क्योंकि ये बहुत मंहगे होते हैं । 

( 5 ) यूजर अपनी भौतिक भौगोलिक स्थिति को बाधा बनाये बिना एक कामन कम्युनीकेशन माध्यम के द्वारा अपने सभी उपकरणों के बीच में सूचनाएँ , प्रोग्राम्स व अन्य उपकरणों को शेयर कर सकता है । (

 6 ) LAN की एक निश्चित भौगोलिक सीमा होती है , जो लगभग 1Km की है । 

LAN के फायदे 

( 1 ) यह महंगे उपकरणों को शेयर करने की अनुमति देता है । 

( 2 ) LAN कार्यक्षमता को बढ़ाता है , क्योंकि वह सूचना प्राप्ति , प्रोसेसिंग ( क्रियान्वयन ) , संग्रहण का अन्य गतिविधियों में  सुधार करता है ।

( 3 ) यह अपने कुछ विशेष साफ्टवेयर की मदद से निश्चित समय व दूरी के अन्दर सिर्फ अपने आथोराइज्ड यूजर्स ( जिन्हें अधिकार प्राप्त हो ) को ही कम्युनीकेशन का अधिकार देता है । 

( 4 ) यह व्यक्तियों व उपकरण दोनों की आवश्यकता को पूरा करने के लिये बहुत अधिक ट्रांसमिशन रेट देता है । 

( 5 ) एरर ( गलती ) रेट बहुत कम होती है , क्योंकि सिस्टम एरर्स  को ढूंढने व दूर करने की सुविधा इन – बिल्ट ( पहले से ही ) उपलब्ध होती है । 

( 6 ) कार्य व उपकरणों के उचित वितरण के द्वारा सिस्टम परफारमेंस ( क्रिया – कलाप ) में सुधार करके एक अच्छा मैनेजमेन्ट देता है । 

( 7 ) यह बहुत अधिक सुरक्षा व फाल्ट सहन करने की क्षमता प्रदान करता है । 

( 8 ) LAN बहुत ही प्रभावी कीमत का मल्टियूजर कम्प्यूटर वातावरण प्रदान करता है 

( 9 ) LAN किसी भी तरह की साईट पर उपयुक्त है । 

( 10 ) इसे किसी भी एप्लीकेशन के अनुरूप उपयोग किया जा सकता है । 

( 11 ) कितनी भी संख्या में यूजर इसमें शामिल किये जा सकते हैं । 

( 12 ) यह फाइल / रिकार्ड लाकिंग को सपोर्ट करता है 

LAN से हानियाँ 

( 1 ) इन्स्टालेशन व रिकान्फिग्युरेशन में हमेशा टेक्निकल व स्किल्ड व्यक्तियों की आवश्यकता होती है

 ( 2 ) रिसोर्सेस् शेयर करने के कारण अक्सर आपरेशन की गति कम हो जाती है । 

( 3 ) नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर का अपर्याप्त ज्ञान आथोराइजेशन व सुरक्षा की समस्या उत्पन्न करता है । 

( 4 ) LAN में यूजर्स के अलग – अलग लॉगिन व पासवर्ड होते हैं । परन्तु पासवर्ड हेकिंग की समस्या सुरक्षा पर बुरा प्रभाव डालती है । 

(5 ) सिंक्रानाईजेशन मेकेनिज्म के अव्यवस्थित होने से कानकरन्ट यूजर्स की तकलीफें बढ़ जाती हैं ।

Types of Topology : 

1. Star Topology 

2. Bus Topology 

3. Ring Topology 

4. Tree Topology 

5. Mesh Topology 

Topology of LAN : 

1 ) Star Topology : स्टार टोपोलाजी में एक सिस्टम सर्वर बनता है और शेष ‘ सिस्टम नोड कहलाते हैं । इसे टोपोलाजी में सभी नोड सीधे सर्वर से जुड़े रहते है । अगर सर्वर बंद हो जाये तो यह टोपोलाजी फेल हो जाती है । 

2 ) Bus Topology : यह सस्ती टोपोलाजी है । इस टोपोलॉजी में एक केबल से ही सभी कम्प्यूटर को आपस में जोड़ दिया जाता है । अगर इनमें से कोई सिस्टम कार्य नहीं करता है तो भी यह नेटवर्क चलता है ।

 3 ) Ring Topology : यह टोपोलाजी भी बस टोपोलाजी की तरह है । इस टोपोलाजी के अंदर एक केबल से सभी कम्प्यूटर को आपस में जोड़ा जाता है और यह एक रिंग की तरह जुड़े रहते हैं । इस टोपोलाजी में termination नहीं होता है ।

 4 ) Tree Topology : यह टोपोलाजी वृक्ष की शाखाओं की तरह कार्य करती है । इसमें एक सिस्टम से कई सिस्टम कनेक्ट रहते हैं और इस टोपोलाजी को सिंगल कोबल के द्वारा ही जोड़ा जाता है । 

5 ) Mixed Topology : इस टोपोलाजी में किसी भी प्रकार rule नहीं होते हैं क्योंकि इसमें एक कम्प्यूटर कई कम्प्यूटरों से जुड़ सकता है 

2 ) WAN [ WideArea Netwrok ]  क्या है

WAN नेटवर्क एक ऐसा नेटवर्क है जो लम्बी दूरी पर स्थित यूजर्स को आपस में जोड़ता हैं । अधिकांशतः यह नेटवर्क भौतिक रूप से शहरों व राज्यों की सीमाओं को भी पार कर सकता है । 

दूसरे शब्दों में , ऐसा डिजिटल संचार सिस्टम , जो राष्ट्र या विश्व स्तर तक फैला हो तथा जिसमें कम्प्यूटर्स व छोटे – छोटे से नेटवर्क्स आपस में जुड़े हुए हों ( परन्तु केबल का उपयोग नहीं किया हो ) , वेन कहलाता है । ये सभी आपस में टेलीफोन लाईन्स , माइक्रोवेव और सेटेलाइट लिंक्स इत्यादि से जुड़े होते हैं ।

WAN को प्रायवेट नेटवर्क्स या फिर पब्लिक नेटवर्क के रूप में बनाया जा सकता है । प्रायवेट नेटवर्क किसी एक या अधिक आर्गेनाईजेशन के लिये टेलीफोन लाईन लिज् ( किराये ) पर लेकर तैयार किये जाते हैं । जबकि दूसरे तरफ पब्लिक नेटवर्क सामान्यतः सरकारी टेलीकम्युनीकेशन ऐजेन्सीज के द्वारा बनाये जाते हैं , जिसमें ट्रांसमिशन व स्विचिंग सुविधाएँ विभिन्न कार्पोरेशन्स्व अर्गेनाइजेशन्स् के द्वारा शेयर किये जाते हैं । पब्लिक नेटवर्क्स बहुत अधिक डेटा ट्रांसमिशन को सपोर्ट करते हैं व मितव्ययी होते हैं । WAN के उदाहरण हैं :

( 1 ) SWIFT 

( 2 ) INDONET – CMC के द्वारा 

( 3 ) ARPANET – US के रक्षा विभाग के द्वारा 

( 4 ) NICNET – NIC के द्वारा 

( 5 ) SBINET – SBI के द्वारा 

WAN के लाभ 

( 1 ) WAN किसी भौगोलिक परिस्थिति से बंधा हुआ नहीं है । अतः यह विश्वव्यापी नेटवर्क है । 

( 2 ) WAN के द्वारा कोई भी मल्टि कंट्री आर्गेनाइजेशन्स् अपना एकिकृत ग्लोबल नेटवर्क बना सकता है । 

( 3 ) WAN विश्वव्यापी व्यवसाय व बाजार के पासपोर्ट करता है ।

(4 ) महंगे उपकरणों का अधिकतम उपयोग कर 1 है

( 5 ) किसी नेटवर्क डेटाबेस में WAN के द्वारा कोई भी यूजर नेटवर्क में कहीं भी डेटा का एक व स्थायी ब्यू एक्सेस (पढ़ना ) अपडेट ( परिवर्तित ) कर सकता है । 

WAN से हानियाँ 

( 1 ) WAN एक बहुत बड़ा व जटिल नेटवर्क है । 

( 2 ) यह गति में धीमा होता है । 

( 3 ) WAN बहुत अधिक सुरक्षित नहीं होता है अर्थात् विश्वमनीट नहीं है ।  

( 4 ) यह बहुत महंगा है । क्योंकि हमें हमेशा डेटा को ट्रांसफर करने के लिये उसका खर्च उठाना पड़ता है । 

( 5 ) अधिकांशतः यह एक पब्लिक नेटवर्क होता है , अतः थड् पार्टी पर निर्भरता अधिक होती है । 

3 ) MAN  (Metropolitian Area Network ) क्या है

यहां LAN से बड़ा पर WAN से छूट नेटवर्क है कि जब किसी सरकारी व्यापारी या अन्य संस्था के बहुत से LANs एक ही शहर में सिटीवाईड नेटवर्क बनाने के लिए बहुत ही तीव्र गति की बैकबोन से जोड़े गये हो तो इस तरह के नेटवर्क का MAN नेटवर्क कहते हैं । 

MAN के गुण 

( 1 ) MAN एक ऐसा नेटवर्क है , जो सम्पूर्ण शहर को जोड़ने के लिये बनाया गया है । 

 ( 2 ) MAN में विभिन्न प्रायवेट LANS शामिल होते हैं , जो केबल व रूटर या गेटवे के द्वारा आपस में जुड़े होते हैं । 

( 3 ) DODB , SMDS , FDDI व IEEE 802.6 सभी एक तरह से MAN के ही पर्यायवाची हैं । 

( 4 ) FDDI टेक्नोलॉजी MAN के लिये सबसे उपयुक्त है । 

( 5 ) MAN सामान्यत : टेलीफोन कम्पनीयों के पहले से बने । हुए इन्फ्रास्ट्रक्चर व सर्विसेस का उपयोग करता है । 

( 6 ) MAN , LAN से बड़ा व WAN से छोटा होता है । 

( 7 ) MAN स्टेंडर्ड वर्तमान समय में उपयोग में नहीं है 

MAN के लाभ 

( 1 ) कोई भी कम्पनी किसी एक शहर में स्थित अपनी सभी ब्रांचेस को आपस में जोड़ सकती है । 

( 2 ) इसके द्वारा कम्पनी की सभी ब्रांचेस के महँगे उपकरणों को जोड़ा जा सकता है , जिससे यह फायदेमंद होता है । 

MAN के नुकसान 

( 1 ) नेटवर्क का इन्स्टालेशन बहुत कठिन होता है व अनुभवी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है । 

( 2 ) इन्स्टालेशन कीमत बहुत ज्यादा होती है । 

LAN व WAN में अंतर 

( 1 ) लेन की सीमा बहुत कम है ( अर्थात् 1 km ) , परन्तु यह रिपीटर की सहायता से बढ़ाई जा सकती है । जबकि वेन की कोई सीमा नहीं होती है , ये राष्ट्र अथवा विश्वस्तर पर हो सकते हैं । 

( 2 ) लेन का संचार माध्यम यूजर ( स्वयं का खरीदा होता है ) का होता है , जबकि वेन पब्लिक सिस्टम अर्थात् किराये पर लिया गया होता है । 

( 3 ) लेन में डेटा को स्थानान्तरित करने का खर्च लगभग नगण्य होता है । जबकि वेन में प्रत्येक बार इस खर्च को वहन करना पड़ता है , क्योंकि यह किराये पर लिया गया होता है । 

( 4 ) लेन नेटवर्क सभी टर्मिनल्स आपस में भौतिक रूप से ( कोएक्सल याफायबर – आप्टिककेबल ) जुड़े हुए हते हैं । जबकि वेन नेटवर्क में कोई भौतिक कनेक्शन न होते हुए टेलीफोन लइन्स , माइक्रोवेव या सेटेलाइट लिंक का उपयोग होता है । 

( 5 ) डेटा को स्थानान्तरित करने में लेन की गति वेन की तुलना ज्यादा होती है । लेन की गति 0.1 से 100 MB / सेकण्ड वेन की गति 1800 से 9600 बिटस् / सेकण्ड होती है । 

( 6 ) लेन में डेटा स्थानांतरित करने की शुद्धता वेन की तुलना बहुत ज्यादा होती है , क्योंकि दूरी कम होती है व स्वयं का माध्यम होता है । ) वेन में दूरी ज्यादा होती है तथा आकाश में बहुत सी तरंगें भी यात्रा करती हैं , जिससे एक – दूसरे से ओवरलेप की सम्भावना बनी रहती है ।

हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! कम्प्यूटर नेटवर्क क्या है और कितने प्रकार के होता है ?   हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।

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