मेमोरी क्या है और कितने प्रकार का होता है? | What is memory in Hindi

Memory क्या है

मेमोरी यूनिट किसी भी डिजिटल कम्प्यूटर का एक आवश्यक भाग है। यह CPU के द्वारा क्रियान्वित होने वाले प्रोग्राम को संग्रह करने के लिए आवश्यक है। एक सीमित उपयोगिता वाला छोटा कम्प्यूटर किसी अतिरिक्त संग्रह क्षमता के बिना भी आवश्यक कार्यों को पूरा करता है। यद्यपि, मुख्य मेमोरी की क्षमता से ज्यादा यदि इन कम्प्यूटर को अतिरिक्त संग्रह क्षमता प्रदान कि जाये तो कम्प्यूटर ज्यादा दक्षता के साथ चलेंगे। किसी कम्प्यूटर के लिए लिखे गये सभी सिस्टम प्रोग्राम को संग्रह करने के लिए मेमोरी में आवश्यक स्पेस नहीं होती। 

इसके अतिरिक्त कई सारे कम्प्यूटर में इन्स्टालेशन से संबंधित सूचना का एकत्रिकरण होता है और लगातार बहुत सारी सूचनाएं एकत्रित होती रहती हैं। एक साथ सभी एकत्रित सूचनाओं की प्रोसेसर के लिये आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए यह ज्यादा अर्थपूर्ण है कि कम कीमत की स्टोरेज डिवाईस का उपयोग किया जाए जो‌ CPU के द्वारा वर्तमान में उपयोग नहीं होने वाली सूचनाको संग्रह‌ कर एक बेकअप की तरह कार्य करती है। 

CPU के साथ कार्य करने वाली मेमोरी यूनिट को मेन मेमोरी कहते हैं और जो डिवाइस बेकअप संग्रह देते हैं उन्हें आक्जीलरी मेमोरी कहते हैं। प्रोसेसर के द्वारा वर्तमान में उपयोग होने वाले प्रोग्राम तथा डेटा मेन मेमोरी में संग्रह होते हैं। दूसरी सारी सूचना ऑक्जीलरी मेमोरी में संग्रहित रहती है और आवश्यकता होने पर मेन मेमोरी को दी जाती है।

कंप्यूटर में कितने प्रकार की मेमोरी पाई जाती है?

यह Computer का सबसे महत्वपूर्ण पार्ट है इसके बगैर Computer कोई भी कार्य नहीं कर सकता है। इस पार्ट की Computer बैन भी कहा जाता  है उपरोक्त परिचर्चा के आधार पर संक्षिप्त में कहा जा सकता है कि कम्प्यूटर में दो तरह की मेमोरी होती है।

  • Primary Memory/Main Memory
  • Secondary Memory  (ऑक्जीलरी मेमोरी )

प्राथमरी मेमोरी क्या हैMain Memory क्या है


यह मेमोरी कम्प्यूटर की महत्वपूर्ण मेमोरी हैं। इस मेमोरी के द्वारा ही कम्प्यूटर स्टार्ट होता है। इस मेमोरी के अन्दर कम्प्यूटर के स्टार्ट होने की पूरी विधि लिखी रहती है। इस मेमोरी को वोलेटाइल और नोन वोलेटाइल में विभाजित किया गया वह मेमोरी जो CPU से सीधे जुड़ी होती है उसे मेन मेमोरी कहते हैं। कम्प्यूटर की मेमोरी के इस भाग में स्टोरेज रजिस्टर (सेल) का समूह होता है। इसमें से प्रत्येक सेल को एड्रेस के द्वारा परिभाषित किया जाता है, जिसके कारण कंट्रोल यूनिट किसी भी रजिस्टर में लिख सकती है या रजिस्टर से पढ़ सकती है। प्राइमरी मेमोरी  तीन प्रकार की होते हैं

1. cache memory

2. ROM

3. RAM

कैश मेमोरी क्या है

कैश मेमोरी एक हाई स्पीड semiconductor मेमोरी होती है जो CPU को Speed up करने का काम करती है कैश मेमोरी बहुत ही छोटी होती है ये Main memory और CPU के बीच में Buffer का काम करती है कैश मेमोरी प्रोग्राम और डाटा के Instances को स्टोर रखती है

जो CPU द्वारा कुछ समय पहले ही इस्तेमाल किये गए थे| तो जब CPU किसी डाटा की request करता है जिसका instance कैश मेमोरी में पहले से मौजूद है तो प्रोसेसर को उस डाटा के लिए Ram या HD में सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है

जिससे Main memory को एक्सेस करने का समय कम हो जाता है और प्रोसेसिंग स्पीड बढ़ जाती है कैश मेमोरी Ram से साइज़ में कम लेकिन कीमत में ज्यदा होती है ये RAM से 10 से 100 times fast होती है अगर हम कैश मेमोरी के Response time की बात करे तो इसके लिए इसे बस कुछ Nanoseconds ही लगते है

 cache memory कितने प्रकार के होते हैं

कैश मेमोरी Fast और Expensive होती है प्रोसेसर से इसकी closeness के आधार पर इनको 3 Levels में Divide किया जाता है जिन्हें Cache Levels कहते है 

L1 Cache

L1 कैश को Primary cache कहते है क्यूंकि ये प्रोसेसर चिप के साथ ही बनाई जाती है इसकी साइज़ सबसे कम होती है लेकिन स्पीड L2 और L3 से तेज़ होती है इस कैश मेमोरी में critical files, instructions स्टोर रहते है जो प्रोसेसर को immediately चाहिए होते है

L2 Cache

इसे हम Secondary Cache कहते है पहले L2 कैश Motherboard के साथ Embedded होती थी जिस कारण इसकी स्पीड पर इफ़ेक्ट पड़ता था लेकिन अब सेकेंडरी कैश मेमोरी प्रोसेसर चिप से लग होती है

जिससे इसकी साइज़ L1 Cache से ज्यदा होती है और स्पीड भी Main Memory से तेज़ लेकिन L1 से कम होती है इसे External Cache भी कहा जाता है

L3 Cache

L3 Special कैश मेमोरी होती है जिसे L1 और L2 कैश की Performance को बढ़ाने के लिए बनाया जाता है ये मदरबोर्ड में Ram और Processor module के L1, L2 कैश के बीच में लगी होती है Multicore प्रोसेसर सिस्टम में सभी core में Dedicated L1 और L2 कैश हो सकती है

लेकिन उनके द्वारा single L3 कैश को शेयर किया जाता है जब प्रोसेसर को किसी इनफार्मेशन की जरूरत होती है तो सबसे पहले L1 फिर L2 और लास्ट में L3 कैश में सर्च किया जाता है इसकी स्पीड सबसे कम होती है

RAM का मतलब क्या होता है ?

Random access Memory(RAM):

RAM का पूरा नाम Random Access Memory होता हैं. इसे Main Memory और प्राथमिक मेमोरी भी कहते हैं. RAM में CPU द्वारा वर्तमान में किये जा रहे कार्यों का डाटा और निर्देश स्टोर रहते हैं. यह मेमोरी CPU का भाग होती हैं. इसलिए इसका डाटा Direct Access किया जा सकता है.

वोलेटाइल को अस्थाई मेमोरी कहा जाता है। यह मेगोरी अपने आप खत्म हो जाता है जिसके अंदर किसी इनफर्मेशन को स्टोर नही कर सकते हैं। उसको वोलेटाइल मेमोरी कहते हैं वोलेटाइल मेमोरी के अन्तर्गत रेम मेनोरी आरती है। (Ram -Random access memory) रेम मेनोरी कम्प्यूटर को कार्य करने के लिये जगह प्रोवाइड करता है। कम्यूटर स्विच ऑन करने पर यह मेमोरी कार्य करना प्रारंभ कर देती है और स्वच बंद करने पर क्या कार्य करना बंद कर देती है।

RAM किसने बनाया? (Who Invented RAM)

सं 1967 में पहलीबार RAM का अबिष्कार किये Robert Heath Dennard ने. वो एक American electrical engineer और Inventor है. वो बनाये थे dynamic random access memory या DRAM को. जिसके लिए वो transistor का इस्तेमाल किये थे.

RAM कितने प्रकार की होती है ?

रेम के दो मुख्य प्रकार होते है।

1) SRAM स्टेटिक रेम

2) DRAM डायनमिक रेम

SRAM स्टेटिक रेम:-

SRAM का पूरा नाम Static Random Access Memory होता हैं. जिसमें शब्द “Static” बताता हैं कि इस RAM में डाटा स्थिर रहता हैं. और उसे बार-बार Refresh करने की जरूरत नही पडती है.

जब एक मेमोरी सेल में एक विट संगृहीत हो जाती है। तो यह उसमें तब तक विद्यमान रहती है जब तक चिप को पांवर उपलबध रहंता है। स्टेटिक RAM को कम रिफ़्रेश करने की आवश्यकता होती है यह RAM का महैंगा प्रकार है । यह DRAM से तेज कार्य करती है क्याकि इसका एक्सेस टाइम कम होता है यह कम स्थान घेरती है। इसलिए इसका उपयोग कैश मेमारी के रूप में होता है। यह बायपोलर सेमीकंडक्टर एवं मेटल ऑक्साइड अर्धचालक से बना होता है।

DRAM डायनमिक रेम :-

DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory होता हैं. जिसमे शब्द “Dynamic” का मतलब होता हैं चलायमान. अर्थात हमेशा परिवर्तित होते रहना. इसलिए इस RAM को लगातार Refresh करना पडता हैं. तभी इसमें डाटा स्टोर किया जा सकता है.

डॉयनमिक RAM में बिट्स बहुत जल्दी खत्म हो जाती है चाहे पॉवर सप्लाई लगातार हो रही हो इसलिए इसे बार बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है। यह SRAM से संस्ती है।SRAM की तुलना में कम संग्रहण क्षमता होती है। डाटा मेमोरी के रूप में उपयोग में लाई जाता है. इसका निर्माण कैपेसिटरर्स मेमोरी तथा मेटल ऑक्साइड अर्धचालको से होता है।

 ROM का मतलब क्या होता है

ROM :-

ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता है. इसका डाटा केवल पढ़ा जा सकता है. इसमें नया डाटा जोड़ नहीं सकते हैं. यह एक Non-Volatile Memory होती है. इस मेमोरी में कम्प्यूटर फंक्शनेलिटी से संबंधित दिशा निर्देश स्टोर रहते है.

यह स्थायी मैमोरी है। यह मेमोरी अपने अंदर इनफार्मेशन को स्थायी रूप से स्टोर रखता है। रोम नाम की मेमोरी को Non-Volatile Memory कहते हैं। रोम  यह मेमोरी चिप के रूप में रहती है जो कि मदर बोर्ड में पहले से लगी रहती है। इस मेमोरी के अंदर पहले से बना बनाया प्रोग्राम स्टोर रहता है जिसे कि BIOS कहते हैं। BIOS (Basic Input Output System) इस Program के अंदर कम्प्यूटर की इनफार्मेशन स्टोर रहती है। इसी Program की सहायता से कम्प्यूटर स्टार्ट भी होता है । यूजर्स द्वारा इसमे परिवर्तन नहीं किये जा सकते है।

Rom कितने प्रकार की होती है

ROM तीन प्रकार के होते हैं

  1. MROM
  2. PROM
  3. EPROM
  4. EEPROM

1.MROM-(MASKED READ ONLY MEMORY):

इस ROM का पहले बहुत प्रयोग होता था लेकिन अब कोई इसे प्रयोग नहीं करता है यह read only memory hard wired devices है जिसमें से पहले से pre-programmed data और instruction store किया जाता है। उस समय में इस प्रकार के मेमोरी बहुत महंगे होते थे लेकिन आज के समय में ये कहीं नहीं मिलते हैं।

2.PROM [Prograr.able Read Only Memory]:-

इस मेमोरी के अंदर लिखे हुये प्रोग्राम को डिलीट व मॉडीफाई करने की सुविधा नहीं रहती है मगर नये प्रोग्राम इसके अन्दर लिखे जा सकते हैं। जब एक बार PROM का उपयोग कर लिया जाए तो इसे हटाया नही जा सकता।

3.EPROM[Erasable Programable Read Only Memory] :-

इसके अदर लिखे हुये प्रोग्राम को डिलीट कर सकते हैं, मॉडी फाई कर सकते हैं और नये प्रोग्राम लिख भी सकते हैं।

4. EEPROM [Electrical Erasable Programable Read Only Memory):-

इसके अंदर लिखे हुये प्रोग्राम को इलेक्ट्रिक सिगंनल के द्वारा डिलीट करवाया जाता है‌ और नये प्रोग्राम भी लिख सकते हैं।

कम्पोनेंट के आधार पर यह दो तरह से निर्मित की जा सकती है

(A) कोर मेमोरी (मेग्नेटिक फेराईट)

(B) सेमीकन्डक्टर मेमोरी।

(A) कोर मेमोरी : कई सारे सेलों से मिलकर मेमोरी का‌ निर्माण होता है, जिसका प्रत्येक सेल एक बिट को स्टोर करता है। ये सेलस् एड्रेसेबल वर्ड्स के समूह में संगठित की जा सकती हैं तथा प्रत्येक वर्ड बिट्स का एक क्रमबद्ध समूह होता है। मेमोरी यूनिट में बायनरी स्टोरेज सेल की तरह उपयोग होने वाले एक मुख्य अवयव को मेग्नेटिक कोर कहते हैै

मैग्नेटिक कोर 0.4 से 0.8 मिमि व्यास का, छोटा टोरोइड (गोला) होता है जो फेरो मैनेटिक पदार्थ का बना होता है। ऐसी भौतिक संख्या जो मेग्नेटिक कोर को बायनरी स्टोरेज के लिए उपयुक्त बनाती है, उसे मेग्नेटिक प्रापर्टी कहते हैं। मेग्नेटिज्म (चुम्बकत्व) की एक दिशा 0 तथा दूसरी दिशा । बायनरी नम्बर को प्रदर्शित करती है। जब फेराइट (लोहे) की रिंग से गुजरने वाले वायर में करंट प्रवाहित किया जाता है, तब इसे मेग्नेटाईज (चुम्बकीय) किया जा सकता है।

(B) सेमीकंडक्टर मेमोरी : कम्प्यूटर डिजाइनर

कम्प्यूटर के आकार को छोटा करने का प्रयास करते हैं, जिसके‌ कारण सेमीकंडक्टर मेमोरी का विकास होता है। इन मेमोरी का‌ विकास सत्तर के दशक के मध्य हुआ, और बाद में फेराइट कोर मेमोरी के स्थान पर इसका प्रयोग किया गया और इसके बाद इसे बहुत प्रसिद्धि मिली। इसमें स्टोरेज तकनीक फेराइट कोर मेमोरी की तरह ही होती है, परन्तु कोर मेमोरी प्रकृति में मेग्नेटिक (चुम्बकीय) होती है, जबकि सेमीकंडक्टर मेमोरी इलेक्ट्रॉनिक होती है, इसलिए ये मेमोरी ज्यादा तेज होती हैं। सेमीकंडक्टर मेमोरी में प्रत्येक बिट (0 या 1) सेल में स्टोर (संग्रह) होता है। सेल एक बहुत छोटा (माइक्रोस्कोपिक) इलेक्ट्रानिक सर्किट है, जिसकी दो अवस्थाएँ होती हैं। ये दो अवस्थाएँ ‘इलेक्ट्रिक चाड’ और ‘इलेक्ट्रिक नाट चार्जूड’ हैं, जो क्रमशः 1 और 0 के द्वारा प्रदर्शित की जाती हैं।

एक विशेष तरह की सेमीकंडक्टर मेमोरी में मेमोरी सेल के आयताकार अरे संग्रह होते हैं। एक ट्रांजिस्टर या सर्किट एक सामान्य मेमोरी सेल है, जिसमें चार्ज को संग्रह करने की क्षमता होती है और साथ ही यह 1 बिट को स्टोर करने के लिए उपयोग होता है। ट्रांजिस्टर एक कंट्रोल इलेक्ट्रानिक स्विच है, जो सिलिन जैसे सेमीकंडक्टर के उपयोग द्वारा बनता है।

Secondary Memory क्या है

स्टोरेज डिवाईस पर्सनल स्टोरेज डिवाईस कहलाती है। सेकंडरी स्टोरेज डिवाईस पर कम्प्यूटर के सभी प्रोग्राम स्टोर रहते हैं जैसे :- डॉस, विंडोस, एम.एस. ऑफिस इत्यादि इसके द्वारा बनाई गई फाईल भी सेकंड्री डिवाईस के अंदर स्टोर रहती है। सेकंडरी स्टोरेज डिवाईस दो भागों में विभाजित है।

(a) Serial Storage Device

(b) Random Storage Devices/Direct Storage Devices

Types of Secondary Storage:-

1. Magnetic Tape.

2. Hard Disk

3. Floppy Disk

4. Compact Disk (CD)

5. Winchester dick

Magnetic Tape:-

Magnetic Tape एक सेकंडरी स्टोरेज डिवाईस भी कहलाती है। इस डिवाईस के अंदर डाटा को स्टोर करना और डाटा को रीड करने में बहुत अधिक समय लगता है। यह सबसे पुरानी स्टोरेज डियाईस है। मगर आज इस डिवाईस का उपयोग बहुत कम होता है । यह डियाईस आहियो कैसेट की तरह कार्य करती है। इसमें दो व्हील होती हैं। एक कील में रील लिपटी रहती है और दूसरी कील खाली रहती है। मैगनेटिक टेप की स्टोरेज क्षमता तकरीबन मैगाबाईट होती है। यह किवाईस बहुत जयादा भरोसेमंद है। कयोकि इसके खराब होने के चास बहुत कम होते हैं।

Hard Disk :-

Hard Disk सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली स्टोरेज डिवाईस है । यह डियाईस रेंडम एक्सेस डियाईस भी कहलाती है। इसमें कही से भी इनफार्मेशन को पड़़ा जा सकता है और कही पर भी लिखा जा सकता है। यह डिवाईस एल्युमिनियम की बाँडी से पैक रहती है इसके अंदर डिस्क और हेड दोनों लगे रहते हैं। यह बहुत मंहगी है और इसकी स्टोरेज क्षमता लगभग 80 जीबी की होती है ।हा्ई डिस्क के अंदर दो प्रकार के हेड़स का उपयोग किया जाता है

(a) Movable Head

(b) non Movable Head

(a) Movable head

Movable Head में सिर्फ एक हेड होता है जो डिस्क की सरफेस के ऊपर मूव होता है।

(b) Nonmovable Head:-

Non-movable head में एक से अधिक हेड होते हैं और हेड की संख्या डिस्क के ट्रैक पर निर्भर करती है

 Floppy Disk :-

Floppy Disk ही डायरेक्ट स्टोरेज डिवाईस है इसमें भी इनफार्मेशन को डायरेक्ट पढ़ा जा सकता है। यह काफी सस्ती मिलती है। इसका उपयोग डाटा को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिये किया जाता है। इसकी स्टोरेज क्षमता 1.44 एम.बी. (मैगा बाईट) होती है।मगर यह स्टोरेज डिवाईस ज्यादा भरोसेमंद नहीं हैं पलापी डिस्क दो प्रकार की होती हैं

a) 3.5 Inches Floppy

b) 5.25 Inches Floppy

Write Protected Notch :-

इसके द्वारा पलापी डिस्क को प्रोटेक्ट किया जा सकता है ताकि फ्लापी के अंदर वायरस न पहुंचे। प्रोटेक्शन देने से पलापी की इनफार्मेशन को केवल पढ़ा जा सकता है।

Index Hole :-

इसके द्वारा पलापी डिस्क की स्टार्टिंग को सेट किया जाता है। ताकि प्रथम सेक्टर में स्टोर फैट को पढ़ा जा सके ।

Hub:-

इसके द्वारा डिस्क को गोल घुमाया जाता है और डिस्क को अंदर हिलने से भी कंट्रोल किया जाता है ।

Read & Writable Head Move:-

Disk की सतह पर रीड व राईटेबल हेड मूव करता है ताकि वह इनफार्मेशन पढ़ सके व लिख सके ।

 CD, Compact Disk :

आज इस स्टोरेज डिवाईस का सबसे ज्यादा उपयोग होता है । पलापी डिस्क की तुलना में इसके अंदर बहुत अधिक मात्रा में डाटा स्टोर कर सकते हैं। यह स्टोरेज डिवाईस फ्लापी से ज्यादा भरोसेमंद है। सी.डी. की स्टोरेज केपेसिटी तकरीबन 740 एम.बी. की होती है।

Types of CD:-

i) CDR 

ii) CDRW [Compact Disk Readable)

i) CDR (Compact Disk Readable):-

इस सी.डी. के अंदर सिर्फ एक बार ही इनफोर्मेशन लिखी जा सकती है। दोबारा इसमें नहीं लिखा जा सकता है। मगर इनफोर्मेशन कई बार पढ़ी जा सकती है। यह सीडी काफी सस्ती आती है जिसकी कीमत 10 रूपये से 50 रूपये तक है ।

ii) CDRW [Compact Disk Readable Writable] :-

इस सीडी के अंदर कई बार इनफोर्मेशन लिखी जा सकती है। यह सीडी काफी मंहगी आती है। इसकी कीमत 250 से 300 तक है।

Winchester Disk:-

यह डिवाईस भी हार्ड डिस्क की तरह एक स्टोरेज डिवाईस है, मगर इस डिवाईस की स्पीड हार्ड डिस्क से ज्यादा फास्ट है लेकिन इसकी स्टोरेज क्षमता हार्ड डिस्क से कम रहतीं हैं विनचेस्टर डिस्क को एल्युमिनियम बाक्स के द्वारा पैक किया जाता है और इसके अंदर बिल्कुल भी हवा नहीं रहती है। अगर इसके अंदर हवा पहुँच जायेगी तो यह खराब हो जायेगी।

मेमोरी के गुण

किसी कम्प्यूटर के लिए मेमोरी सिस्टम का चुनाव करते समय मेमोरी सिस्टम के निम्नलिखित गुणों को ध्यान रखते हैं

1. बोलेटीलिटी

2. डिस्ट्रक्टीव या नॉन-डिस्ट्रक्टीव

3. एक्सेस टाइम

4. बिट या वर्ड मेमोरी

1. वोलेटीलिटी (नष्ट होना) : जब इलेक्ट्रिक स्विच बंद कर दिया जाये तो मेमोरी सूचना को रोककर नहीं रखती 

है, इस तरह की मेमोरी को वोलेटाइल कहते है. इस अलावा यदि स्विच बंद करने के बाद भी मेमोरी डेट तथा निर्देशों को रखती है, तब इसे नॉन-वोलेटाइल मेमोरी कहते हैं। नॉन-वोलेटाइल मेमोरी का एक उदाहरण है मेग्नेटिक कोर मेमोरी क्योंकि यदि कोर को एक दिशा में मेग्रेटाइज किया जाता है तो स्विच बंद होने के बाद भी यह हर डायरेक्शन में मेग्नेटिज्म देते हैं। जबकि चार्ज कपल डिवाईस (CCDs) वोलेटाइल मेमोरी है।

 2. डिस्टूक्टिव मेमोरी सिस्टम : यदि मेमोन में संग्रहित सूचना पढ़ने के बाद खत्म हो जाती है तो इस तरह के मेमोरी सिस्टम को डिस्ट्रक्टिव मेमोरी सिस्टम कहते हैं। इस तरह के मेमोरी सिस्टम में सूचनाओं को पुनः लिखन पड़ता है, जिससे निर्देशों और डेटा को बनाये रख सकें।. इसके कारण कम्प्यूटर का बहुमूल्य समय बर्बाद होता है। इसके अतिरिक्त सर्कीटरी की भी आवश्यकता होती है, जिससे इस तरह के सिस्टम की कीमत बढ़ जाती है। नाॅन डिस्ट्रक्टिव मेमोरी सिस्टम वे सिस्टम होते हैं, जिनमें संग्रहित सूचना लिखने तथा पढ़ने के दौरान नष्ट नहीं होती है।

3. एक्सेस टाईम : मेमोरी सिस्टम को चुनते समय एक आवश्यक तथ्य भी जरूरी है, जिसे एक्सेस टाईम कहते हैं। डेटा को मेमोरी में से ALU में ट्रांसफर करने में लगने वाले समय को एक्सेस टाईम कहते हैं। जैसा कि हम जानते हैं कि कम्प्यूटर एक बहुत तेज मशीन है तथा इसकी प्रोसेसिंग में लगने वाला कम समय इसे बेहतर बनाता है। इसलिए कम एक्सेस टाईम लेने वाली मेमोरी को चुना जाता है।

4. बिट मेमोरी या वर्ड मेमोरी : मेमोरी को बर्ड मेमोरी या बिट मेमोरी कहा जा सकता है। ये मेमोरी दो तरह की हो सकती हैं:

(1) बिट सिरियल (श्रेणी) और बिट पेरलल (समानान्तर।

या (ii) वर्ड सिरियल और वर्ड पैरेलल

(i) बिट सिरियल और बिटपेरेलल मेमोरी: बिटसिरियल, मेमोरी वह मेमोरी होती है, जिसमें वास्तव में एक सिक्वेंशियल क्रम में, एक समय में एक ही बिट को पढ़ते हैं। परेलल बिट मेमारी मैं एक समय में पूर्व परिभाषित बिट का एक समूह पढ़ा जाता है।अतः विट पैरेलल मेमोरी ज्यादा तीव्र होती है।

(ii) वर्ड सिरियल और वर्ड पेरेलल मेमोरी : वर्ड सिरियल मेमोरी में बिट सिरियल मेमोरी की तरह ही एक समय में एक वर्ड (शब्द) को पढ़ा जाता है, वास्तव में एक सिक्वेंशियल क्रम में । जबकि वर्ड पेरेलल मेमोरी में शब्दों के एक समूह को एक समय में पढ़ा जाता है।

FAQ

Q.1 वोलेटाइल मेमोरी कौन सी होती है?

Ans:-वोलेटाइल मैमोरी ऐसा memory device है जिसमे संग्रहीत जानकारी या data को बनाए रखने के लिए electric current की आवश्यकता होती है। मतलब कि जैसे ही Computer को turned off (बंद) किया जाता है और उसमें बिजली का प्रवाह बंद होता है वैसे ही वोलेटाइल मैमोरी में जमा सभी data अपने आप गायब हो जाते हैं।

Q.2 कंप्यूटर की सबसे तेज मेमोरी कौन सी है?

Ans:-कंप्युटर की सबसे तेज मेमोरी होती है कैशै मेमोरी ये एक हार्डवेयर स्टोरैज है जो की प्रोसेसर के ठीक बगल मे रहता है और वह कंप्युटर की सबसे तेज मेमोरी होती है

Q.3 कंप्यूटर की स्थायी स्मृति को क्या कहते हैं?

Ans:- यू. में होने वाली समस्त क्रियायें सर्वप्रथम स्मृति में जाती है। यह एक प्रकार से कम्प्यूटर का संग्रहशाला होता है। मेमोरी कम्प्यूटर का अत्यधिक महत्वपूर्ण भाग है जहां डाटा, सूचना और प्रोग्राम प्रक्रिया के दौरान स्थित रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर तत्काल उपलब्ध होते हैं

Q.4 निम्नलिखित में से कौन नॉन वोलेटाइल स्टोरेज है

Ans:- Nonvolatile मेमोरी एक प्रकार की कंप्यूटर मेमोरी होती है जो निरंतर बिजली न होने पर भी जानकारी संग्रहीत कर सकती है

हमें उम्मीद है कि आपको मेरा article जरूर पसंद आया होगा! मेमोरी क्या है और कितने प्रकार का होता है?  हमे कोशिश करता हूं कि रीडर को इस विषय के बारे में पूरी जानकारी मिल सके ताकि वह दूसरी साइड और इंटरनेट के दूसरे article पर जाने की कोशिश ही ना पड़े। एक ही जगह पूरी जानकारी मिल सके।

आपको इस article के बारे में कुछ भी प्रश्न पूछना हैै तो हमें नीचे comments कर सकते हैं

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